चमकी बुखार का मुजफ्फरपुर में पहले कुछ दिनों से लगातार इनसेफ्लाइटिस की खबर ग्रामीण क्षेत्र से आ रही थी। बीमारी का इलाज खोजना है तो डॉक्टरों पर सवाल उठाकर कुछ नहीं होगा। उनके पास करने को बहुत कुछ नहीं रहता है।हकीकत है कि जब मेडिकल कॉलेज मरीज आता है तो वह बहुत क्रिटिकल होता है। उसे बचाने के लिए डॉक्टर के पास दो से तीन घंटे ही होते हैं। ऐसे में अगर कई बच्चों की जान बच रही है तो इसके लिए डॉक्टर प्रशंसा के भी पात्र हैं। बीमारी की जड़ जाननी है तो उन गांवों को जाएं जहां से मरीज आ रहे हैं।गांवों में किसी मरीज के घर जाएं और उनके घर से सबसे करीब स्वास्थ्य केंद्र जाएं, सब पता चल जाएगा कि आखिर में असल बीमारी कहां है। जो बच्चे इस बीमारी से आ रहे हैं उनकी मेडिकल रिपोर्ट देखेंगे तो पता चलेगा कि अगर उन्हें इनसेफ्लाइटिस नहीं होगा तो कोई दूसरा बीमारी होगा। इतने कुपोषित भर पेट अच्छा खाना भर इस बीमारी को लगभग समाप्त कर सकता है। लेकिन हर बार मीडिया का फोकस मरने वाले बच्चों की संख्या काउंट करने में समाप्त होता है फिर बरसात होती है और बीमारी भी अगले साल तक स्थगित हो जाती है और मीडिया के लिए दूसरा अ...